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बोली बम कैसे बनायें?

seedhi baat
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बम मनुष्य द्वारा बनाया गया एक ऐसा पिंड होता है जो विरोधी के ऊपर निशाना कर के फेंका जाता है और वह धमाके की आवाज के साथ जब फटता है तो विरोधी यातो मर जाता है या अधमरा और किम्कर्तव्य विमूढ़ हो जाता है. ऐसी स्थिति में वह बम फेकने वाले का कुछ बिगड़ तो नहीं पाता लेकिन उसे कोस सकता है और भद्दी गलियां दे सकता है ! बम का इतिहास जानने की आवश्यकता नहीं है लेकिन उसकी शक्ति बारे में जान लेना चाहिए. बम कई प्रकार के होते हैं जैसे हथगोला, सुतली बम, टाइम बम, रासायनिक बम, जैविक बम, परमाणु बम और बोली बम. यद्द्य्पी बोली बम के अलावा सभी बम बनाने के लिए बहुत अधिक तकनीक जानने की आवश्यकता होती है लेकिन बोली बम बहुत ही आसानी से बन जाता है! बोली बम का एक लाभ यह भी है की यह  दूसरे बम की तरह किसी मेटल डिटेक्टर आदि से पकड़ा नहीं जा सकता और चलाने वाले के हाथ में नहीं फटता है. सामान्यतह  जब कोई बम फेंका जाता है तो जिस पर बम गिरता है वह बच कर भागने की कोशिश करता है लेकिन बोली बम में खासियत यह है की यह जिस पर फेंका जाता है वह इसे पकड़ने की कोशिश करता है.

सामान्यतः इसका प्रयोग जनता में अपनी आवाज की गूँज सुनाने के लिए किया जाता है. इस बम का शिकार होने के बाद मनुष्य अपनी सोच समझ खो बैठता है और बम फेकने वाले को गन्दी गन्दी गलियां देता हुआ बम फेकने वाले को ढूँढने का प्रयास करता है लेकिन वह उसे देख कर भी कोई नुकसान नहीं पहुंचा सकता. बोली बम फेकने वाले को बम फेकने के बाद भागने की भी आवश्यकता नहीं होती बल्कि मीडिया उसे सुरक्षा पूर्वक अपने स्टूडियो लेजाकर उसका साक्षात्कार लेता है और उसकी बात जनता तक पहुंचता है.

बोली बम बनाने में प्रयोग सामग्री

बोली बम बनाने के लिए आपको जो रसायन और सामग्री चाहिए वह इस प्रकार है:

१. डाई हैड्रोजन मोनो अक्साइड

२. कल्शियम

३. एथिल अल्कोहल

४. फटे पुराने जूते चप्पल

५. उल्लू के ठप्पे

बम बनाने की विधि

यह बम बनाना बहुत ही आसान है. बम बना कर तुरंत ही चलाना होता है अतः पहले अपना टार्गेट सेट कर ले कि किसे निशाना बनाना है. यदि कभी कभार आप जनता में हीरो बनना चाहते हैं तो यह बम आप खुद बना कर चला सकते हैं लेकिन अगर रोज या आये दिन आप इसे चला कर जनता में अपनी पहचान बना कर रखना चाहते हैं तो आपको कुछ उल्लू के ठप्पे ढूंढने होंगे…. जिस प्रकार एक बड़ी राजनितिक पार्टी ने ढून्ढ कर रक्खा है जो आये दिन टी वी पर दिखाई देता है…

डाई हैड्रोजन मोनो अक्साइड को सामान्य भाषा में पानी कहते हैं बम चलने से पहले इसे पीलेना चाहिए ताकि चलाने के बाद थकान न हो . इसके बाद कल्शियम जिसे आम भाषा में चूना कहते हैं इसका सेवन कर लेना चाहिये.. आम तौर पर यह पान मसाला या गुटखा में पाया जाता है. अब किसी ऐसे स्थान पर जाईये जहाँ मीडिया का कैमरा हो या इन्टरनेट के माध्यम से आपकी बात ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुँच सके. अब भीड़ भाड़ वाले इलाके में किसी शरीफ आदमी को जिसका कोई अपराधिक रिकोर्ड नहो उसपर अपनी भाषा में गालियों के साथ बोली बम का प्रयोग कर दीजिये.. अगर संभव हो तो फटे पुराने जूते चप्पल के साथ बोली बम का प्रयोग कर सकते हैं.. ध्यान रहे की इस बम को चलते समय यदि मीडिया का कैमरा न हो तो उसका इन्तजार करना चाहिए वरना बम का असर कम होता है. बम चलने के बाद अगर आप पकडे भी जाते हैं तो पुलिस थाने लेजा कर छोड़ देगी और फिर आप अनेकों टी वी चैनेल्स पर इंटरव्यू देते हुए अपनी बात जनता तक पंहुचा सकते हैं..

अभी हाल ही में बोली बम का प्रयोग कुछ लोगों ने प्रशांत भूषन और अरविन्द कजरीवाल के ऊपर किया था जो बहुत ही सफल रहा.

आप सोच रहे होंगे की आपने जो एथिल अल्कोहल लिया था उसका प्रयोग तो हुआ ही नहीं.. तो भाई यह एथिल अल्कोहल सामान्य भाषा में शराब कहलाती है जिसे बम का प्रयोग करने के बाद आप सेवन कर सकते हैं.. इससे विरोधी की गालियों का प्रभाव ख़तम हो जाता है.

आशा है आपको यह बोली बम का फ़ॉर्मूला पसंद आया होगा.. याद रखिये राखी सावंत और अपने डोग्विजय जी इसी बम के सहारे महान बने हुए हैं..तो मुझे धन्यवाद देकर शुरू हो जाईये..अगर आप बहुत बीजी हैं तो इसका प्रयोग करवाने के लिए एक दो उल्लू के ठप्पे ढूंढ लीजिये.. अगर यह शब्द समझ में नहीं आया तो अपने पडोसी से बोल कर देखिये.. ओये..उल्लू के ठप्पे इधर आ… बस वह बता देगा कि यह क्या होता है…. अब मैं आपके ऊपर बोली बम चला चूका हूँ..क्योंकि इतना समझाना भी बोली बम के बराबर होता है तो आप कोई प्रतिक्रिया दें उससे पहले मैं निकल लेता हूँ. जय लंकेश…

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